SOME QUESTIONS
- What is the program प्रोग्राम क्या होते हैं।
- What is virus and antivirus in hindi – क्या होते हैं वायरस और एन्टी वायरस
- What is a browser in Hindi- ब्राउज़र क्या है?
- What are the social networking site in hindi – सोशल नेटवर्किंग साइट क्या हैं ?
- What is remote desktop connection in Hindi – क्या होता है रिमोट डेस्कटॉप
- What is difference between login and sign up लॉग इन और साइन अप क्या है
- What is the 32-bit and 64-bit in Hindi] क्या है 32 बिट और 64 बिट
- What is parental control In Hindi पैरेंटल कंट्रोल क्या है
- What is the file extension in Hindi – फ़ाइल एक्सटेंशन क्या है
- What is digital signature in Hindi – डिजिटल सिग्नेचर क्या है
- What is Printer in Hindi – प्रिटंर क्या है
- What is the information kiosk in Hindi क्या होता है सूचना कियोस्क
- What is Cyber Crime – जानें साइबर क्राइम के बारे में
- What is soft copy and hard copy – क्या होती है सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी
- What is Internet in Hindi – इंटरनेट क्या है
- What is Booting Process in Computer – कंप्यूटर में बूटिंग क्या होती है
Program प्रोग्राम क्या होते हैं।
कम्प्यूटर को सरल बनाने के लिए तैयार किये जाते है। कम्प्यूटर पर काम करने के लिए साफ्टवेयर इंजीनियरों दवारा कुछ ऐसे प्रोग्राम तैयार किया जाते है या साफ्टेवअर तैयार किये जाते है जो हमारे कम्प्यूटर पर सम्बन्धित कार्य को करने में सरल बनाते है।
ओडियों और वीडियों प्रोग्राम्स:-
कम्प्यूटर में ओडियों व वीडियों फाइल को प्ले करने के लिए एडिट करने के लिए और कन्वर्ट करने के लिए जिन प्रोग्राम की आवश्यकता होती है वह प्रोग्राम ओडियों व वीडियों प्रोग्राम्स कहलाते है।
प्रोग्राम्स के नाम :-
एडोब मीडिया प्लेयर, वी0एस0सी0मीडिया प्लेअर, रीयल प्लेअर, विन्डोज मीडिया प्लेअर, मीडिया प्लेयर क्लासिक।
वीडियो फाइल्स की फोर्मेटस:-
D.I.V.X, X.V.I.D, M.OB, RM, VOB, MPEG, WMV, ABI, FLB, DAT
ओडियोंप्रोग्राम्स के नाम
विनेप मीडिया प्लेअर सेाग वर्ड क्विक टाइम प्लेअर जेट ओडियों आर्इ0 टयून एक्स.बी. एम.सी. मीडिया सेन्टर
ओडियों फाइल्स की फोर्मेटस mp3, web, rm, midi, mod, mpeg-1
What is virus and antivirus in hindi – क्या होते हैं वायरस और एन्टी वायरस
वायरस बहुत माहिर साफ्टवेयर प्रोग्रामों दवारा कुछ ऐसे साफ्टवेटर डिजाइन किये जाते है। जो किसी भी कम्प्यूटर में प्रवेश कर सकते है तथा उसके डाटा को खराब कर सकते है और कुछ ही समय में आपके कम्प्यूटर पर कब्जा कर लेते है ओैर विन्डो को खराब या करप्ट कर देते है। एन्टीवाइरस कम्प्यूटर में इस्टाल करने से वह कम्प्यूटर के अन्दर छिपे वाइरस को ढूढता लेता है उसे क्लीन कर देता है।
What is Antivirus and How it works
एन्टीवाइरस के पास सभी वाइरसों नामों की एक लिस्ट होती है जब हम उसको इंस्टाल करते है वो वह अपनी लिस्ट से वाइरसों के नामों को मैच करता है और मैच हो जाने पर वह उन्हें डिलीट कर देता है एन्टीवाइरस अच्छी तरह से काम करे इसके लिए जरूरी है कि उसे इन्टरनेट के माध्यम से उसे डेली अपडेट किया जाए।
How to Protect Computer from viruses
वायरस से बचाव:- किसी भी लुभावने व विज्ञापनों वाले र्इ-मेल को कम्प्यूटर में नही खोलना चाहिए जिस र्इ-मेल आइडी को नही जानते है उस र्इ-मेल आइडी को नही खोलना चाहिए। नकली और पाइरेटेड सी0 डी0 व डी0वी0डी0 का यूज कम्प्यूटर में नही करना चाहिए। किसी दूसरे कम्प्यूटर की पेन ड्राइव अपने कम्प्यूटर में लगाये तो उसे एन्टीवायरस दवारा स्केन कर लेना चहिए।
[What is a browser in Hindi] ब्राउज़र क्या है?
वेब ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो आपको इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री जैसे ब्लॉग बेवसाइट पर उपलब्ध लेख, इमेज, वीडियो और ऑडियो और गेम्स आदि को देखने और प्रयोग करने में अापकी सहायता करता है।
टिम बर्नर ली ने सन 1991 में पहला वेब ब्राउज़र बनाया था, जिसका नाम उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब रखा था। आजकल आप किसी भ्ाी साइट का नाम टाइप करने से पहले जो WWW लगाते हैं यह वही वर्ल्ड वाइड वेब की श्ाार्टफार्म है।
Chrome
यह Google के प्लेटफार्म पर बनाया गया इंटनरेट ब्राउजर है, इसका अपना अलग लुक है, यह तेज गति से काम करता है, इसमें कई सारे प्लगइन प्रीलोडेड होते हैं। इसे सितम्बर, 2008 में लांच किया गया था। बाद में इसका मोबाइल वर्जन भी लांच किया गया।
Mozilla Firefox
यह लगभग 10 वर्ष पुराना लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर है, इसको वर्ष 2002 में Mozilla Corporation ने लांच किया था, Mozilla Firefox एक तेज गति का ब्राउजर है, सभी प्रकार के फांन्ट को सपोर्ट करता है, कुछ दिन पहले इसका हिन्दी वर्जन भी लांच किया गया था।
Internet Explorer
यह ब्राउजर Microsoft Corporation ने अगस्त, 1995 में विण्डोज 95 के साथ लांच किया था, इसने उपभोक्ताओं का इंटनेट का प्रथम बार अनुभव कराया आज के दौर में भी ज्यादातर यूजर इंटरनेट से मतलब Internet Explorer से ही है।
Safari
2003 में Apple कम्पनी ने Safari को खास अपने ऑपरेटिंग सिस्टम मैक के लिये तैयार किया था प्रारम्भ यह सिर्फ उन्हीं के कम्प्यूटरों का सपोर्ट करता था, लेकिन बाद में इसका विण्डोज वर्जन भी लांच किया गया।
Opera
Opera Software ASA ने वर्ष 1994 में एक बहुत तेज गति वाला ब्राउज़र लांच किया जिसकी गति को आज तक कोई मात नहीं दे पाया है यह आज भी सर्वाधिक गति वाला ब्राउज़र है।
Epic
पहला भारतीय ब्राउजर यह 12 भारतीय भाषओं को समर्थन देता है, इसके अलावा इनमें कई ऐसे फीचर एड किये गये है, जो आपको पसन्द आयेगें इसे Hidden Reflex ने जो एक भारतीय इंजिनियर है (श्री आलोक भारद्वाज) द्वारा स्थापित किया गया है ने 2010 में लांच किया था। इसे मोजिला के प्लेटफार्म पर बनाया गया है,
What are the social networking site in hindi – सोशल नेटवर्किंग साइट क्या हैं ?
आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है, ज्यादातर लोग तो इसके अादि हो चुके हैं। अगर आपको कोई बात पब्लिक के बीच अासानी से पहुॅचानी है तो बस उसे किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर शेयर कर दीजिये। जहॉ सोशल नेटवर्किंग साइट अपने दोस्तों से मिलने का एक बहुत अच्छा साधन है वहीं दूसरी ओर यहॉ आप गंम्भीर मुद़दो पर चर्चा भी कर सकते हैं और लोगों की राय भी ले सकते हैं। आजकल तो बडे-बडे आन्दोलन भी सोशल नेटवर्किंग साइट से ही श्ाुरू होते हैं।
साथ ही आप बिजनेस प्रमोशन के लिए भी सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल कर सकते हैं और अपने प्रोडक्ट की जानकारियों को बडी अासानी से अपने ग्राहकों तक पहुॅचा सकते हैं और उनकी राय भी जान सकते हैं। भारत में भी सोशल नेटवर्किंग साइट का क्रेज तेजी से बढा है।
यहॉ आप अपने रूचि के अनुसार नये ग्रुप बना कर कई ग्रुप के सभी सदस्यों से एक साथ चर्चा कर सकते हैं, ऐसे कई ग्रुप्स में टीचर और स्टूडेंट भी शामिल हैं जो पढाई से सम्बन्धित परेशानियों को ग्रुप में श्ोयर करते हैं और उनका निदान पाते हैं।
वैसे तो इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट की भरमार है लेकिन भारत में कुछ प्रमुख सोशल नेटवर्किंग साइट हैं जिनको लोग ज्यादा यूज करते हैं जिसमें फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, गूगल प्लस, यूट्यूब, लिंकडिन, डिस्कस, स्नैपचैट, पिनट्रेस्ट, इंस्टाग्राम प्रमुख हैं।
[What is parental control In Hindi] पैरेंटल कंट्रोल क्या है
क्या है पैरेंटल कंट्रोल
बच्चे तो बच्चे होते हैं उन्हें अगर उन कोई रोक टोक न हो तो वो पूरे दिन कंप्यूटर से या इंटरनेट से चिपके रह सकते हैं और खासतौर पर तक जब माता पिता घर पर ना हों या कंप्यूटर के बारे में ज्यादा जानते न हों तो। बच्चों की इसी प्रकार की ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों की मॉनिटरिंग करने और अगर आप घर पर हों या ना हो लेकिन आपके घरेलू कम्प्यूटर और इन्टरनेट या अन्य डिवाइसों को आपके बच्चे के लिये सुरक्षित बनाने को ही पैरेंटल कंट्रोल कहते हैं। इसके लिये कुछ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
आप क्या-क्या कर सकते हैं
- आप जान सकते हैं कि आपका बच्चा आपके पीछे क्या-क्या कर रहा है।
- अगर आपको लगता है कि कुछ बेवसाइट आपके बच्चें के लिये ठीक नहीं हैं तो आप उन बेवसाइट को ब्लॉक कर सकते हैं।
- कंप्यूटर पर देखी गई सभी वेबसाइट्स का पूरा ब्यौरा प्राप्त कर सकते हैं।
- आप बच्चों के कम्प्यूटर और इन्टरनेट के प्रयोग का टाइम निर्धारित कर सकते हैं।
- इंटरनेट सर्च को बच्चों के लिये अच्छा बना सकते हैं।
[What is the 32-bit and 64-bit in Hindi] क्या है 32 बिट और 64 बिट
क्या है 32 बिट और 64 बिट
आप तो जानते ही हैं कि कंप्यूटर के सारे काम तेजी से करने के लिये ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ-साथ आपके प्रोसेसर की भी अहम भूमिका होती है और यह इस बात पर निर्भर करती है कि अापका प्रोससर एक बार में कितना डाटा प्रोसेस करता है, यानि कितनी जल्दी सूचनाओं का अादान-प्रदान करता है।
अब बात करते हैं बिट की। बिट (bit) कंप्यूटर की मैमोरी की सबसे छोटी ईकाई होती है, जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्बल = 4 बिट बाइट (Byte) अौर 8 बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।
यानि 32 बिट के कंप्यूटर का प्रोसेसर एक बार में 32 बिट डाटा को प्रोसेस कर सकता है और 64 बिट का प्रोसेसर एक बार में 64 बिट डाटा का प्रोसेसर उससे दुगना डाटा एक बार में प्रोसेस करता है। अब एक अौर बात प्रोसेसर को यह डाटा प्रोसेस करने के लिये रैम की आवश्यकता होती है। 32 बिट के कंप्यूटर के कंप्यूटर में आप 4जीबी तक रैम इस्तेमाल कर सकते हैं जबकि 64 बिट के प्रोसेसर को डाटा प्रोसेस करने के लिये ज्यादा रैम की अावश्यकता होती है।
कैसे जानें कि अापके कंप्यूटर कितने बिट का है –
विंडोज xp या 7 में माय कंप्यूटर आयकन पर राइट क्लिक करें और प्रॉपर्टीज मेनू दबाएं। अब खुलने वाली स्क्रीन पर ऑपरेटिंग सिस्टम का सिस्टम टाइप देख्ािये। वहाॅ आपको पता चलेगा कि आपका सिस्टम 32 बिट का है या 64 बिट का।
what is difference between login and sign up लॉग इन और साइन अप क्या है
साइन अप
अगर अापके पास इंटरनेट पर कोई खाता नहीं हैं जैसे जीमेल, फेसबुक आदि और आप नया खाता बनाने वाले फार्म में अपनी जानकारी भरते हैं जिसमें आप अपना नाम, ईमेल पता या फ़ोन नंबर, जन्मदिन और एक पासवर्ड डालते है यानि एक नये खाते के लिये आवेदन करते हैं तो इस प्रक्रिया को साइन अप कहते हैं।
लॉग इन
अगर आपका पहले से एक इंटरनेट पर खाता है, तो अपना केवल अपना ईमेल पता या फ़ोन नंबर और पासवर्ड डालकर अपने खाते में प्रवेश करते हैं इस प्रकिया को लॉग इन कहते हैं।
what is remote desktop connection in Hindi – क्या होता है रिमोट डेस्कटॉप
क्या होता है रिमोट डेस्कटॉप ?- Kya hota hai remote desktop ?
रिमोट डेस्कटॉप एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें इंटरनेट द्वारा सॉफ्टवेयर की मदद से दो कंप्यूटरों को अापस में कनेक्ट किया जा सकता है और स्क्रीन शेयर करायी जा सकती है अौर पूरे के पूरे कंप्यूटर को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिये जो प्रक्रिया अपनायी जाती है वह रिमोट डेस्कटॉप कनेक्शन कहलाती है। इसका प्रयोग सॉफ्टवेयर संबधी समस्याओं को दूर से ही ठीक करने में किया जाता है। जैसे आपका लैपटॉप में सॉफ्टवेयर संबधी कोई समस्या है तो इंजिनियर कंपनी से ही आपके लैपटॉप को रिमोट डेस्कटॉप कनेक्शन बनाकर ठीक कर सकता है।
कहीं से भी कंट्रोल करें अपना कंप्यूटर – Kahin se bhi Control karin apna computer
रिमोट डेस्कटॉप कनेक्शन के लिये इस्तेमाल में लाये जाने वाले कुछ प्रमुख सॉफ्टवेयर हैं जिसकी मदद से आप बडी आसानी से कहीं से भी अपना कंप्यूटर को कंट्रोल कर सकते हैं। जिसमें टीम व्यूअर, स्काइप, क्रोम रिमोट डेस्कटॉप, माइक्रोसॉफ्ट नेटमीटिंग, जॉइन मी, स्क्रीनलेप, प्रमुख हैं।
[What is the file extension in Hindi] फ़ाइल एक्सटेंशन क्या है
जिस प्रकार आप अपने नाम के पीछे अपना सरनेम लगाते हैं, जिससे पता चलता है कि आप किस जाति-धर्म के हैं उसी प्रकार कंप्यूटर भी फाइल की पहचान के लिये उसके पीछे कुछ श्ाब्द यानि फाइल एक्सटेंशन जोड देता हैं, जिससे बडी अासानी से पता चल जाता है कि यह फाइल किस प्रकार की फाइल है। लेकिन कुछ सॉफ्टवेर भी ऐसे होते हैं, जिसका फाइल एक्सटेंशन अलग होता है और इनके द्वारा बनायी गयी फाइल केवल इन्हीं सॉफ्टवेर में खोली जा सकती है। जैसे फोटोशॉप की फाइल का फाइल एक्सटेंशन .PSD होता है। तो अगर आपके कंप्यूटर में फाेटोशॉप नहीं है तो आप .PSD फाइल को खोल नहीं पायेगें।
आप फाइल एक्सटेंशन का प्रयोग कर विडोंज में एक ही प्रकार की फाइलों को सर्च कर सकते हैं, मान लीजिये विंडोज में अापको MP3 फाइल सर्च कराना है, तो सर्च बाक्स में बस .MP3 टाइप कीजिये और एंटर कीजिये आपके कंप्यूटर की सभी MP3 फाइलें सर्च में अा जायेंगी।
MP3 एक प्रकार की ऑडियो फाइल होती है, जिसे आप बडी आसानी से विंडोज मीडियो प्लेयर या अन्य प्लेयर में अासानी से चला सकते हैं, यह आपके किसी भी स्मार्ट फोन मेें भी अासानी से प्ले हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल .MP3 एक्सटेंशन वाली फाइलें ही अॉडियो फाइल होती हैं
कुछ कॉमन फाइल एक्सटेंशन
- वीडियो – MPEG, AVI, RMBV, FLV, QuickTime, WMV, MP4
- पिक्चर – BMP, JPEG, GIF, PNG, PCX, TIFF, WMF, ICO, TGA
- ऑडियो – MP3, AAC, MIDI, MOD, MPEG-1, M4A, FLAC, WAV, OGG
- पीडीफ – PDF
- ऑफिस – docx – वर्ड डॉक्यूमेंट, xlsx – एक्सेल वर्कबुक, pptx – पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन
[What is digital signature in Hindi] डिजिटल सिग्नेचर क्या है
डिजिटल सिग्नेचर के बारे में जानने के पहले थोडा सरकारी तंञ समझ लेते हैं, पहले के सर्टिफिकेट्स मैनुअल तरीके से तैयार किये जाते थे, जिसमें आवेदनकर्ता, अावेदन भरता था और उसमें जरूरी अटैचमेंट्स लगता था अौर उसे कार्यालय में जमा करता था, फिर उसके अावेदन को जॉच के लिये जॉच अधिकारी या कर्मचारी के पास भ्ोजा जाता था, जॉच के स्तर इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपने किस प्रकार के प्रमाण पञ के लिये आवेदन किया है। जॉच होने के उपरान्त वह सर्टिफिकेट्स कार्यालय में वापस आता है और सक्षम अधिकारी द्वारा उसे हस्ताक्षर कर आवेदनकर्ता काे प्राप्त कराया जाता है।
लेकिन अब ऐसा नहीं है अब समय है “ई-गवर्नेंस” का इस माध्यम से यह सारी प्रक्रिया बहुत ही सरल हो गयी है, इसके माध्यम से सभी प्रकार के सर्टिफिकेट्स एक इंटरनेट पोर्टल के माध्यम से तैयार किये जाते हैं, अगर देखा जाये तो केवल आवेदन अौर तैयार प्रमाण पञ को छोडकर सारी प्रक्रिया पूरी तरह से पेपरलैस है। यह पूरी तरह से सर्टिफिकेट्स का डिजिटल रूप होता है। इसमें सारी जॉच प्रक्रिया इंटरनेट पोर्टल पर ही होती है। इसमें सभी स्तर की जॉच प्रक्रिया में अधिकारी अौर कर्मचारियों द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग किया जाता है। इन सभी प्रमाण पञों का सत्यापन भी पोर्टल के माध्यम से बडी आसानी से किया जा सकता है।
डिजिटल सिग्नेचर क्या होते हैं?
डिजिटल हस्ताक्षर या सिग्नेचर एक प्रकार का कंप्यूटर कोड होता है, इसका प्रयोग केवल अधिक्रत व्यक्ति ही कर सकता है, जिसे उपयोग करने के लिये या तो यूजर आईडी और पासवर्ड की अावश्यकता होती है, इसके अलावा कहीं-कहीं डोंगल का भी प्रयोग किया जाता है जो एक प्रकार की पेनड्राइव जैसी डिवाइस होती है, जैसे हमने आपको पहले पेनड्राइव को बनाइये अपने कम्प्यूटर का पासवर्ड बनाना बताया था। यह उसी प्रकार की व्यवस्था है, यानि डिजिटल सिग्नेचर केवल वही व्यक्ति कर पायेगा, जिसकेे पास यह दोनों चीजें हों। जैसे कागज के सर्टिफिकेट्स पर मैनुअली साइन किये जाते थे, वैसे ही इलैक्ट्रोनिक सर्टिफिकेट्स पर डिजिटल सिग्नेचर किये जाते हैं। यह कानूनी तौर पर मान्य होते हैं।
[What is Printer in Hindi] प्रिटंर क्या है ?
प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस होती है, इसका प्रयोग कंप्यूटर के डेटा की हार्डकॉपी बनाने के लिये किया जाता है। की-बोर्ड, माउस के बाद प्रिंटर ही एक ऐसा डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। ऑफिस, घ्ारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर प्रिंटर का प्रयोग चिञ, ऑफिस डाक्यूमेंट प्रिंट करने के लिये किया जाता है। साधारण तौर पर प्रिंटर कंप्यूटर के साथ एक डाटा केबल से जुडा रहता है अौर किसी भी एप्लीकेशन से Ctrl+P कमांड देने पर वह आपको प्रिंट दे देता है। लेकिन अाजतक प्रिंटर के साथ नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें वायरलैस प्रिंटिग मुख्य है। इसमें प्रिंटर को वाई-फाई और क्लाउड से जोडा जाता है। जिससे दूर बैठे ही आप प्रिंटर को कमाण्ड दे सकते हैं। क्लाउड तकनीक से आप मोबाइल से भी प्रिंटर को कमाण्ड दे सकते हैं अौर प्रिंट निकाल सकते हैं।
प्रिंटरों के प्रकार –
- डॉट मैट्रिक्स – इस प्रिंटर का प्रयोग आजकल बहुत कम हाेता है। लेकिन अभ्ाी कुछ दुकानों और खासतौर पर बैंक में यह प्रिंटर प्रयोग में लाया जा रहा है।
- लेजर प्रिंटर- यह प्रिंटर प्रोफेशनल रूप से सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला प्रिंटर है। इसमें ब्लैक एण्ड व्हाईट और रंगीन दोनों प्रकार के प्रिंटर आते हैं।
- इंकजेट/डेस्कजेट – यह प्रिंटर सस्ता होने के कारण घरों में ज्यादातर प्रयोग किया जाता है। इसमें गीले रंगों का प्रयोग किया जाता है।
- थर्मल प्रिंटर – मॉल्स, रेस्टोरेंट आदि में बिलिंग के लिये इस प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है। इसमें इंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- प्लॉटर्स प्रिंटर- बड़े साइज फ्लेक्स प्रिंट करने के लिये इस प्रिंटर का प्रयोग होता है।
- फोटो प्रिंटर्स- कलर लैब में फोटो प्रिंट करने के लिये इन प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है।
[What is the information kiosk in Hindi ] क्या होता है सूचना कियोस्क ?
सूचना कियोस्क क्या है?
आप एटीएम मशीन से तो परिचित ही हैं, जिसने आपको बैंक की लम्बी लाइन में खडे होने से बचा लिया है सूचना कियोस्क भी देखने में बिलकुल एटीएम मशीन की तरह ही होता है, बस इससे रूपये निकलने के बजाय सूचनायें प्राप्त होती है और इसे एटीएम की तरह कहीं भी लगाया जा सकता हैा इसलिये इसे आउटडोर डिजिटल सूचना कियोस्क सिस्टम भी कहते हैं, सूचना कियोस्क के अन्दर वही सब हार्डवेयर होते हैं जो एक कंप्यूटर में होते हैं, जैसे पीसी मदरबोर्ड, रैम, हार्ड डिस्क अौर साथ में दिया होता है टच स्क्रीन मॉनिटर जिससे इसे अासानी से ऑपरेट किया जा सके। साथ ही इसमें इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा भी होती है। जिसके द्वारा अापको सूचनायें उपलब्ध करायी जाती है।
सूचना कियोस्क लगाने का उद्देश्य – :
कही भी सूचना कियोस्क उद्देश्य आपको कार्यालय के चक्कर लगाने से बचाना है। यदि आपने किसी सरकारी विभाग में कोई अावेदन किया है, तो आपको अावेदन की स्थिति जानने के लिये किसी सरकारी कार्यलय के चक्कर लगाने की अावश्यकता नहीं है। इसे सरकारी बेवसाइट या सॉफ्टवेयर से जोड दिया जाता है। यह इस प्रकार डिजायन किया जाता है कि इसे कोई भी चला सके। बस टच करने की देर है और अापको संबन्धित सूचना प्राप्त करा दी जाती है। भारत में जिन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है वहॉ जगह-जगह आउटडोर डिजिटल सूचना कियोस्क सिस्टम लगाये जा रहे हैं।
साइबर क्राइम – What is Cyber Crime
साइबर क्राइम कई प्रकार का होता है –
निजी जानकारी चुराना –
इसे साधारण भाषा में या हैकिंग करते हैं, इससे साइबर अपराधी आपके कंप्यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे – आपका नेटबैंकिग पासवर्ड, आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि काे चुरा लेते हैं और इसका दुरूपयोग करते हैं, इसी का दूसरा रूप होता है फिंशिग, जिसमें आपको फर्जी ईमेल अादि भेजकर ठगा जाता सकता है,
वायरस फैलाना
साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्यूटर का काफी हानि पहुॅचा सकते हैं।
सॉफ्टवेयर पाइरेसी
सॉफ्टवेयर की नकली तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं।
फर्जी बैंक कॉल-
आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोनकॉल प्राप्त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर कर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मॉगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्यम से नहीं बताये।
सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना
बहुत से लोग सोशल नेटवर्किग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने-अनजाने में ऐसे लिंक्स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है।
साइबर बुलिंग
फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। अक्सर बच्चे इसका शिकार हाेते हैं।
[what is soft copy and hard copy in hindi] क्या होती है सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी
आपने कंप्यूटर में कोई फाइल तैयार की, मान लीजिये एमएस वर्ड में कोई लैटर टाइप किया, अब आपको किसी व्यक्ति को वह एमएस वर्ड वाली फाइल की कॉपी देनी है तो अापने मेल के जरिये या पेनड्राइव उस फाइल की कॉपी करके दे दिया। इस प्रकार आपने बिना प्रिंट किये उस फाइल की कॉपी काे किसी व्यक्ति को दी, इसे फाइल की सॉफ्ट कॉपी कहेगें। इसका एक उदाहरण ईमेल के द्वारा फोटो या डॉक्यूमेंट भेजना भ्ाी है। इसे इलैक्ट्रिक प्रति तैयार करना भी कहते हैं। बहुत से व्यक्ति अपने जरूरी डॉक्यूमेंट की एक डिजिटल कॉपी स्कैन करके अपने कंप्यूटर या क्लाउड पर भी सुरक्षित रखते हैं।
- आधार कार्ड से खोलें डिजिटल लॉकर
लेकिन अगर आप उसी डॉक्यूमेंट की कॉपी प्रिंटर द्वारा प्रिंट कर रहे हैं तो असल में आप उसकी हार्ड कॉपी या कागज़ी प्रति तैयार कर हैं।
[What is Internet in Hindi] इंटरनेट क्या है
इंटरनेट क्या है
इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है जिससे दो या दो से अधिक कंप्यूटरों, सर्वरों और डाटा सेंटरों काे आपस में जोडा जाता है, उदाहरण के लिये आप जो फेसबुक चलाते हैं और उस पर जो फोटो अौर वीडियो अपलोड करते हैं वह अमेरिका के सिलिकन वैली स्थित फेसबुक के मुख्यालय के डाटा सेंटर में स्टोर होते हैं और वह इंटरनेट ही है, जिसकी वजह से आप उस डाटा को यूज कर पाते हैं।
इंटरनेट क्रांति
आज हर जगह इंटरनेट का प्रयोग हो रहा है, पिछले कुछ वर्षो में लोग इससे इस तरह जुड गये हैं कि आने वाले समय में आप बिना इंटरनेट के किसी भी तकनीक की कल्पना नहीं कर सकते हैं, आज कोई भी क्षेञ इंटरनेट से अछूता नहीं है, आज भारत में इंटरनेट की वजह से ई-गवर्नेस का लाभ गांवों एवं पंचायतों को मिल रहा है। ऐसे ही अनेकों लाभ लोग इंटरनेट से ले रहे हैं।
इंटरनेट के फायदे
आज आप मिनटों में इंटरनेट पर गूगल की सहायता से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, अगर आप काम्पटेटिप एक्जाम की तैयारी कर रहे हैं इससे पढाई करने वाले बच्चों को बहुत मदद मिलती है। आप घर बैठे यू्ट्यूब पर वीडियो देखकर कुछ भी बनाना सीख सकते हैं। कभीं घूमने जाने से पहले आप वहॉ के बारे में सभी जानकारी गूगल मैप देख सकते हैं साथ ही वहॉ के मौसम के बारें में और वहॉ के घूमने लायक जगहों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। घर बैठे ई-कॉमर्स के माध्यम से आप शॉपिंग, नेटबैंकिग या व्यापार कर सकते हैं। महिलायें घर बैठे ही रेसिपी, होम मेकर टिप्स सीख सकती हैं। अगर आप बोर हो रहे हो तो इसकी सहायता से आप गाना, फिल्म, गेम्स डाउनलोड कर सकते हैं।
इंटरनेट के नुकसान
इंटरनेट दुनिया में इसका दुरूपयोग भी किया जा रहा है, कुछ लोग इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइटों के आदि हो जाते हैं अौर रात-रात भी जागकर चैटिंग इत्यादी कर करते रहते हैं, इससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पढता है। असुरक्षित रूप से इंटरनेट का इस्तेमाल करने से आपके कंप्यूटर में वायरस आ सकता है और अापके कीमती कंप्यूटर को नुकसान पहुॅचा सकता है। ऑनलाइन बैंकिग, सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आपकी पर्सनल इनफार्मेशन जैसे- नाम, पता, फोटो अौर मोबाइल नंबर होते हैं, आपकी छोटी सी लापरवाही से हैकर्स इस जानकारी को चुराकर आपको आर्थिक और मानसिक क्षति पहुॅचा सकते हैं।
What is Booting Process in Computer – कंप्यूटर में बूटिंग क्या होती है
जब आप कंप्यूटर (computer) का पावर बटन (Power button) या स्टार्ट बटन (Start button) प्रेस करते हैं, तो विंंडोज स्टार्ट होने से पहले कंंप्यूटर में कई सारी प्रक्रियायें होती है, जिसमें बूटिंग भी एक जरूरी प्रक्रिया है –
कंप्यूटर बूटिंग क्या होती है – What is a computer booting
जब आप कंप्यूटर स्टार्ट करते हैं तो सीपीयू (CPU) और बायोस (BIOS) मिलकर कंप्यूटर को स्कैन करते हैं, जिसमें कंप्यूटर यह पता करता है कि मदरबोर्ड से कौन-कौन से उपकरण जुडें है और ठीक प्रकार से काम कर रहे हैं या नहीं, इसमें रैम, डिस्पले, हार्डडिस्क आदि की जॉच होती है, यह प्रक्रिया पोस्ट (Post) कहलाती है।
जब कंप्यूटर पोस्ट (Post) की प्रकिया कंम्पलीट कर लेता है तो बायोस (BIOS) बूूटिंग डिवाइस को सर्च करता हैै, वह हर बूट डिवाइस में बूटिंग फाइल को सर्च करता है, सबसे पहले First Boot Device, फिर Second Boot Device इसके बाद Third Boot Device और अगर इसमें भी बूटिंग फाइल न मिले तो Boot Other Device, बायोस (BIOS) को जिसमें भी पहले बूटिंग फाइल (Booting File) मिल जाती है। वह उसी से कंप्यूटर को बूट करा देता है और कंप्यूटर में विंडो की लोडिंग शुरू हो जाती है।
जो लोग सीडी या डीवीडी से विंडोज इंस्टॉल करते हैं वह First Boot Device के तौर पर CDROM को सलेक्ट करते हैं, लेकिन हर किसी सीडी से बायोस (BIOS) कंप्यूटर को बूट नहीं करा सकता है इसके लिये सीडी या डीवीडी का बूटेबल (Bootable CD or DVD) होना जरूरी है, बूटेबल (Bootable) होने का मतलब है कि उसमें बूटिंग फाइल (Booting File) होना चाहिये जिससे बायोस (BIOS) उसे पढ सके।
अगर आपके कंप्यूटर में कोई भी (Bootable Media) नहीं है तो आपको Insert Boot Media Disk का Error दिखाई देगा, Error आपको तब भी दिखाई देे सकता है जब आपको कंप्यूटर हार्डडिस्क से बूट न ले रहा हो।
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