BASIC COMPUTER
- Introduction to Computers – कम्प्यूटर का परिचय
- History of Computer – कंप्यूटर का इतिहास
- computer generations history in hindi – कंप्यूटर की पीढ़ी
- Computer advantages and disadvantages – कम्प्यूटर के लाभ और हानि
- Computers and the Human Brain – हमारा मस्तिष्क और कम्प्यूटर
कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computers in Hindi)
कंप्यूटर -:
कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के “Compute” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है “गणना”, करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्तु आजकल इसका use डाक्यूमेन्ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है,
computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्दर डाले गये होते हैं, उसके अन्दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।
Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-
- सॉफ्टवेयर
- हार्डवेयर
सॉफ्टवेयर -:
सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software । Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्लेयर का यूज करते है।
हार्डवेयर -:
हार्डवेयर Computer का Machinery भाग होता है जैसे LCD, की-बोर्ड, माउस, सी0पी0यू0, यू0पी0एस0 आदि जिनको छूकर देखा जा सकता है। इन Machinery Part के मिलकर computer का बाहरी भाग तैयार होता है तथा Computer इन्ही हार्डवेयर भागों से computer की क्षमता का निर्धारण किया जाता है आजकल कुछ Software को Computer में चलाने के लिये निर्धारित Hardware की आवश्यकता होती है। यदि Software के अनुसार Computer में हार्डवेयर नहीं है तो Software को Computer में चलाया नहीं जा सकता है।
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)
आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती।
मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए।
अबेकस – 3000 वर्ष पूर्व -:
अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।
एंटीकाईथेरा तंत्र – 2000 वर्ष पूर्व -:
Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था
पास्कलाइन (Pascaline) – सन् 1642 -:
अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं
डिफरेंज इंजन (Difference Engine) – सन् 1822 -:
डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था, इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।
जुसे जेड – 3 – सन् 1941 -:
महान वैज्ञानिक “कोनार्ड जुसे” नें “Zuse-Z3” नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।
अनिएक – सन् 1946 -:
अमेरिका की एक Military Research room ने “ENIAC” मशीन जिसका अर्थ (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया। “ENIAC” दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें “ENIAC” सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई
computer generations history – कंप्यूटर की पीढ़ी
कंम्यूटर का शुरूआती दौर ऐसा ना था, यह शुरूआत में बहुत बडें, भारी और मॅहगें हुआ करते थे। समय के हिसाब से इसकी तकनीक में बहुत से बदलाव हुए, इन बदलवों से कंप्यूटरों की नई पीढीयों का जन्म होने लगा, हर पीढ़ी के बाद कंम्यूटर की आकार-प्रकार, कार्यप्रणाली एवं कार्यक्षमता में सुधार होता गया, तब जाकर आज के समय का कंम्यूटर बन पाया –
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर – First generation computer
Timeline – 1942-1955 -:
इस पीढी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) का प्रयोग किया जाता था, जिसकी वजह से इनका आकार बहुत बडा होता था और बिजली खपत भी बहुत अधिक होती थी। यह ट्यूब बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करते थे। इन कंम्यूटरों में ऑपरेंटिग सिस्टम नहीं होता था, इसमें चलाने वाले प्रोग्रामों को पंचकार्ड में स्टोर करके रखा जाता था। इसमें डाटा स्टोर करने की क्षमता बहुत सीमित होती थी। इन कंप्यूटरों में मशीनी भाषा (Machine language) का प्रयोग किया जाता था।
Second Generation Computer –दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर
Timeline – 1956 – 1963 -:
इस पीढ़ी में ट्रांजिस्टर का अविष्कार हुआ, और अब कंप्यूटर में वैकयूम ट्यूब (Vacuum Tube) की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया | ट्रांजिस्टर वैकयूम ट्यूब (Vacuum Tube ) से काफी छोटे होते थे | इस पीढ़ी में डाटा स्टोर करने के लिए ड्रम का उपयोग किया गया | अब कंप्यूटर की गणना करने की स्पीड भी थोड़ी तेज हो गयी थी | ट्रांजिस्टर का उपयोग करने से कंप्यूटर कम गर्मी पैदा करने लगी | इस पीढ़ी में मशीनी भाषा COBOL और FORTRAN का उपयोग हुआ |
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर – Third generation computer
Timeline – 1964-1975 -:
यहाॅ तक अाते अाते ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) यानि अाईसी ने ले ली और इस प्रकार कंप्यूटर का अाकार बहुत छोटा हो गया, इन कंम्यूटरों की गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक की थी जो स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका। यह कंम्पयूटर छोटे अौर सस्ते बनने लगे और साथ ही उपयोग में भी अासान होते थे। इस पीढी में उच्च स्तरीय भाषा पास्कल और बेसिक का विकास हुआ। लेकिन अभी भी बदलाव हो रहा था।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर – Fourth generation computers
Timeline – 1967-1989 -:
चिप तथा माइक्रोप्रोसेसर चौथी पीढी के कंप्यूटरों में आने लगे थे, इससे कंप्यूटरों का आकार कम हो गया और क्षमता बढ गयी। चुम्बकीय डिस्क की जगह अर्धचालक मैमोरी (Semiconductor memory) ने ले ली साथ ही उच्च गति वाले नेटवर्क का विकास हुआ जिन्हें आप लैन और वैन के नाम से जानते हैं। ऑपरेटिंग के रूप में यूजर्स का परिचय पहली बार MS DOS से हुआ, साथ ही कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ्ट विंडोज भी कंप्यूटरों में आने लगी। जिसकी वजह से मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। इसी समय C भाषा का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग करना सरल हुआ।
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर – Fifth generation computers
Timeline – 1989 से अब तक -:
Ultra Large-Scale Integration (ULSI) यूएलएसआई, ऑप्टीकल डिस्क जैसी चीजों का प्रयोग इस पीढी में किया जाने लगा, कम से कम जगह में अधिक डाटा स्टोर किया जाने लगा। जिससे पोर्टेबल पीसी, डेस्कटॉप पीसी, टेबलेट आदि ने इस क्षेञ में क्रांति ला दी। इंटरनेट, ईमेल, WWW का विकास हुआ। आपका परिचय विडोंज के नये रूपों से हुआ, जिसमें विडोंज XP को भुलाया नहीं जा सकता है। विकास अभी भी जारी है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर जोर दिया जा रहा है।
computer advantages and disadvantages – कम्प्यूटर के लाभ और हानि
Benefits and Importance -:
- आज हर जगह कंप्यूटर का उपयोग बडें पैमाने पर किया जा रहा है, इससे का सबसे बडा कारण यह है कि मनुष्य के मुकाबले बहुत तेजी सेे काम करता है, यह बहुत बडी गणना को कुछ सेकेण्ड में कर सकता हैै
- आज हर चीज कंप्यूटर पर उपलब्ध है, आप बहुत सारा डाटा कंप्यूूटर में स्टोर कर सकते हैं और उसे कभी भी उपयोग में ला सकते हैं और अगर आपके पास इंटरनेट की सुविधा भी है तो आप क्लाउड स्टोरेज का उपयोग कर इंटरनेट पर भी अपने डाटा काे सुरक्षित रख सकते हैं।
- आप कभी-भी और कहीं भी अपने दोस्तों के सम्पर्क में वीडियो कॉल, ईमेल, सोशल नेटवर्किंग जैसे सुविधाओं केे माध्यम सेे जुडें रह सकते हैं।
- आप इंटरनेट पर कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- बैंकिग जैसी सुविधाओं में कंंप्यूटर तकनीक का जबाब नहीं है, आप घर बैठे-बैठे अपने मोबाइल फोन से या कंंप्यूटर से किसी को भी रूपये ट्रांसफर कर सकते हैं।
- आज मोबाइल रीचार्ज, बिजली का बिल से जमा करने से लेकर ऑनलाइन शॉपिग यहॉ तक कि हवाई जहाज तक कंप्यूटर द्वारा उडाये जा रहेे हैं वह भी बिना कोई गलती किये।
- शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर ने दुुनियाॅॅ को बदल दिया है आप घर बैठे-बैठे ही बेस्ट टीचर्स/संस्थाओं से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और चिकित्सा की बात करें तो दुनियॉ के बेहतरीन डाक्टर्स से इंटरनेट पर परामर्श ले सकते हैं और अब तो मैडीकल स्टोर जाने की भी जरूरत नहीं है आप घर बैठे ही दवाईयॉ भी आर्डर कर सकते हैं, चाहे वह आपके श्ाहर में मिलती हों या नहीं।
Disadvantages -:
- जहॉ एक और कंंप्यूूटर लोगों को स्मार्ट बना रहा है वहीं दूसरी और इसका जरूरत से ज्यादा प्रयोग बीमार भी बना रहा है
- कंप्यूटर और मोबाइल का अधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है
- मोबाइल और कंंप्यूटर स्क्रीन पर ज्यादा लगातार देखते रहने से सबसे ज्यादा नुकसान आंखों को होता है
- लोगों का मिलना जुलना बंद हो गया है, ज्यादा लोग किसी के घर जाकर मिलने से बेहतर उनसे सोशन नेटवर्किंग साइट जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप चैट करना ज्यादा पंंसद करते हैं, यहॉ तक कि एक घर में रह रहे 4 व्यक्ति भी अपने-अपने मोबाइल फोन से ही चिपके रहते हैं।
- बडी-बडी कंंपनियों और फैट्रियों में कई-कई मजदूरों का काम कंप्यूटर और रोबोट करने लगे हैं, जिससे बेरोजगारी भी बढी है
- इंटरनेट बैंकिग का उपयोग सावधानी से न करने पर आपके पर्सनल डाटा चोरी रखने का खतरा रहता है, जिससे कई यूजर्स को आर्थिक नुकसान उठाना पडता है
- इसी प्रकार सोशन नेटवर्किंंग साइट पर भी सावधानी से काम न करने पर भी होता है
- इंटरनेट के माध्यम से ठगी बहुत बडे पैमाने पर बढ गयी है
Conclusion – निष्कर्ष -:
अगर हम सही तरीके से इस तकनीक का प्रयोग करें, तो हमारे भविष्य को बहुत बदल सकती हैै, लेकिन इसका गलत प्रयोग हमारे वर्तमान को भी खराब कर सकता है, आप तो जानते ही हैं कि हम कम्प्यूटर कंट्रोल में नहीं यह हमारे कंट्रोल में है, इसका सही और सुरक्षित प्रयोग कीजिये
Computers and the Human Brain –हमारा मस्तिष्क और कम्प्यूटर
कम्प्यूटर आज से समय की सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली मशीन है और कहा जाता है कि यह मनुष्य से कहीं बढकर है, इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता है, हमारे हिसाब से कम्प्यूटर केवल आपके जरूरत की मशीन है, जिस प्रकार आप हाथ से कोई दीवार या पत्थर नहीं तोड सकते थे तो आपने हथोडे को बनाया, उसी प्रकार आपने कुछ जरूरी काम करने के लिये कम्प्यूटर को बनाया, तो इसकी तुलना हमसे कैसे हो सकती है –
रंगों की पहचान के मामले में -:
जहॉ तक रंगों में अंतर करने की बात है तो मनुष्य की ऑख लगभग १ करोड रंगों में अंतर कर लेती है, लेकिन एक ३२ बिट का कम्प्यूटर १ करोड ६० लाख रंगों में अंतर कर पाता है।
गणना करने में -:
मनुष्य का इस मामले में कम्प्यूटर से पीछे हैं, जीहॉ मनुष्य का दिमाग २ या ३ अंकों की गणना बडे आराम से कर लेता है, लेकिन अगर यही गणना १० या १२ अंकों की हो तो बहुत अधिक समय लगता है और यदि इसे और बडा कर दिया जाये तो आपको लगभग सारा दिन लग जायेगा, लेकिन कम्प्यूटर इसे कुछ ही सेकेण्ड में हल कर देता है। जैसे कि आपका कैलक्यूलेटर
चेहरे पहचाने में -:
कम्प्यूटर फेस रिकग्निशन तकनीक के माध्यम से चेहरे को पहचानने का काम करता है, जिसमें वह चेहरे के कुछ हिस्सों को पांइट करता है, जिससे वह बडे आराम से किसी का भी चेहरा पहचान लेता है, अब यही तकनीक फेसबुक सोशल नेटवर्किग साइट भी यूज कर रही है, लेकिन इंसानी दिमाग इससे भी आगे है, पूरी दुनिया में अरबों लोग रहते हैं और सभी के चेहरे अलग-अलग होते हैं, इंसानी दिमाग इन सभी के चेहरों में अंतर बडे आराम से लेता है, यहॉ तक वह कि वह केवल ऑखों को देखकर ही व्यक्ति की पहचान कर सकता है और यही नहीं अगर दो चेहरों को मिलाकर एक नया चेहरा बना दिया जाये, जैसा कि अक्सर न्यूज पेपर में आपने देखा होगा, दिमाग उन दोनों चेहरों में अंतर कर उनको भी पहचान लेता है।
वस्तुओं की पहचान -:
आपका दिमाग केवल देखने भर से नमक और चीनी में अंतर कर सकता है, इसके अलावा और भी रोजमर्रा काम आने वाली चीजों के बीच अंतर करने में इंसानी दिमाग माहिर है। हॉलांकि अब गूगल ग्लास, जैसी एप्लीकेशन हैं जो इमेज स्कैन करते चीजों को पहचान सकती है, लेकिन सटीकता से नहीं।
निर्णय लेने की क्षमता -:
यहॉ भी इंसानी दिमाग का कोई जबाव नहीं है, आप पल भर में कोई भी निर्णय ले सकते है, जहॉ पर कम्प्यूटर भी फेल हो जाते हैं, वहॉ इंसानी दिमाग ही विजय प्राप्त करता है, जैसे ड्राइविंग करते समय, कोई खेल खेलते समय, (शतरंज, क्रिकेट, बैडमिटंन आदि) और यहॉ तक कि फाइटर प्लेन के पायलट तो इससे भी तेज निर्णय लेने के लिये जाने जाते हैं, यहॉ कम्प्यूटर इंसानी दिमाग से काफी पीछे है।
किसी मशीन को कन्ट्रोल के मामले में -:
जी हॉ कम्प्यूटर चाहे किनता कि शक्तिशाली और तेज क्यों ना हो, है तो एक मशीन ही और मनुष्य के दिमाग का इस इस मामले में भी कोई जबाब नहीं है, फिर चाहे वह घरेलू कम्प्यूटर हो या किसी स्पेसशिप का कन्ट्रोल सिस्टम, मनुष्य का दिमाग सभी को समझ लेता है और ऑपरेट कर लेता है। एक उदाहरण के लिये यदि एक टाइपिस्ट जब की-बोर्ड पर टाइपिंग करता है तो वह की-बोर्ड की तरफ देखता भी नहीं है, तो फिर वह बिलकुल सटीक अक्षर कैसे टाइप कर पाता है, यह कमाल भी दिमाग का है, जब आप टाइपिंग का अभ्यास करते है, तो दिमाग आपको उॅगलियों से दबने वाले बटन और दूसरे बटनों के दूरी और अक्षर को याद कर लेता है और यही नहीं आप काफी तेजी से टाइप भी कर पाते हैं।
प्रैक्टिकल के मामले में -:
आपको बता दें कि कम्प्यूटर केवल वही कार्य कर सकता है जिसके लिये उसे प्रोग्राम किया गया हो, लेकिन अगर उसे अलग कोई काम करना हो तो कम्प्यूटर उसे नहीं कर पता है, लेकिन इन्सानी दिमाग प्रैक्टिकल होता है, वह किसी भी कार्य को करने के लिये कोई ना कोई रास्ता खोज ही लेता है, जिसे आप हिंदी भाषा में जुगाड भी कहते हैं, यह अद्वितीय क्षमता केवल और केवल मनुष्य के पास ही है।
निरंतर कार्य करने की क्षमता -:
हमने बहुत जगह पढा है कि कम्प्यूटर कभी थकता नहीं है, वह निरंतर कार्य करता रह सकता है और इंसानी दिमाग थक जाता है उसे सोने की आवश्यकता होती है। हमने अभी तक कोई ऐसा रोबोट या मशीन नहीं देखी जो बिजली या बैट्ररी के बगैर चल सके या उसे चार्जिग की आवश्कता न हो। ऐसा ही मनुष्य के दिमाग और शरीर के साथ है, सोते समय भी मनुष्य का दिमाग कार्य करता रहता है, जब आप सो रहे होते हैं तक भी आपके मन में विचार आते रहते है, आप सपने देखते रहते हैं और बात रही थकने की तो कम्प्यूटर में भी हैंग होने की बीमारी होती है।
संग्रह क्षमता -:
कम्प्यूटर में आप दुनिया भर के गाने, वीडियो और संग्रहित कर रख सकते हैं, यह क्षमता मनुष्य के दिमाग के पास भी होती है, वह आस-पास होने वाली घटनाओं को रिकार्ड करता रहता है, लेकिन गैर जरूरी घटनाये समय से साथ अपने आप डिलीट होती चलती है, जबकि कम्प्यूटर में आपको इसके लिये स्वंय भी उन फाइलों को डिलीट करना पडता है, लेकिन हॉ संग्रह क्षमता में फिर भी कम्प्यूटर ही आगे है।
अंंत में -:
इंसानी दिमाग और इंसानी शरीर मिलकर कई सारे काम कर सकते हैं, जो अकेला कम्प्यूटर कभी नहीं कर सकता है, आप नोट गिन सकते हैं, आप ड्राइव भी कर सकते हैं, आप पढ भी सकते हैं, आप खाना भी पका सकते हैं, आप कैक्यूलेशन भी कर सकते हैं, आप कम्प्यूटर भी चला सकते हैं, जरा सोचिये कम्प्यूटर को आपने यानि मनुष्य ने बनाया है तो फिर वह मनुष्य से श्रेष्ठ कैसे हो सकता है, हॉ वह एक अच्छी मशीन भले ही हो लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता है, यह केवल मशीन है इसे मशीन ही मानिये तथा इसकी मदद से श्रेष्ठ कार्य कीजिये और और देश का नाम गर्व से उॅचा कीजिये।
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